किशोरवस्था में होने वाले बदलाव

Author   /  Reporter :     Dashmesh Kaur (Mahi)

हर एक शरीर में जरुरत के अनुसार हार्मोन्स बनते है, ग्रंथियां कब और कितना हार्मोन्स बनाएगी ये तय करती है, एक खास ग्रंथि जिसे पिटयूटरी ग्रंथि कहते है जो मटर के दाने के सामान होती है , ११-१२ आयु होते ही यह ग्रंथि जननअंगों को एक ख़ास तरह का हार्मोन्स बनाने का आदेश देती है इसके फलस्वरूप लड़के और लड़कियों में अलग अलग तरह के हार्मोन्स बनाने लगते है तथा इन हार्मोन्स के कारण ही उनमे अलग अलग तरह के बदलाव आते है I

लड़कों के शरीर में बनने वाले हार्मोन्स का नाम टेस्टोंस्टरोंन जो की वृषण में बनता है, तथा इसी हार्मोन्स से ही शुक्राणु का निर्माण होता है एवं इसी के कारण ही आवाज़ में भारीपन, बाल आना ऐसे बदलाव आते है

लड़कियों के शरीर में भी इसी तरह के हार्मोन्स बनते है जिन्हें ईस्टोजेन एवं प्रोजेस्टोन कहते है, ये हार्मोन्स ओवरी में बनते है तथा इसी की वजह से स्तनों का विकास एवं माहवारी जैसे बदलाव आते है, प्रोजेस्टोन भ्रूण की सुरक्षा के विकसित होता है

लड़के एवं लड़कियों में अलग अलग तरह के हार्मोन्स बनते है मगर इनमे एक समानता है दोनों ही के हार्मोन्स मन में कुछ भावनाओं, उमंगों व एक नए प्रकार की ऊर्जा को जन्म देते है, इसी प्रकार किशोर अवस्था में शारीरिक, मानसिक और भावनात्मक परिवर्तन आते है......

 

लेखिका जिला चिकित्सालय बौराड़ी, टिहरी गढ़वाल, उत्तराखंड में राष्ट्रीय स्वास्थ मिशन के तहत के पद Adolescent Counsellor  पर कार्यरत है.....