हेपेटाइटिस बी -ओरल वैक्सीन बनाने वाला भारत पहला देश बना

Author   /  Reporter :     Pawan Mishra

भारत विश्व का पहला ऐसा देश बन गया है, जिसने हेपेटाइटिस बी बीमारी से बचाव के लिए ओरल वैक्सीन तैयार किया है। तीन वर्ष के शोध के बाद चूहों पर किए गए परीक्षण में विशेषज्ञों को सफलता मिली है। अब इसका इनसान पर परीक्षण किया जाएगा। उम्मीद जताई जा रही है कि अगले चार वर्ष में यह ओरल वैक्सीन बाजार में उपलब्ध हो जाएगा।

अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) के चिकित्सकों ने डिपार्टमेंट ऑफ बॉयोटेक्नोलॉजी की मदद से पिछले तीन वर्ष के गहन शोध के बाद वैक्सीन विकसित की और इसका चूहों पर सफल ट्रायल भी पूरा किया। चूहों पर किए गए ट्रायल में सामने आया कि तैयार वैक्सीन अभी तक के परंपरागत इंजेक्टेबल वैक्सीन की तुलना में करीब 20 फीसदी ज्यादा कारगार साबित हुआ है।

शोध टीम की अगुवाई कर रहे एम्स के वरिष्ठ चिकित्सक डॉ. अमित कुमार डिंडा ने बताया कि नैनो पार्टिकल से इस वैक्सीन को तैयार किया गया है, जिसका कोई साइड इफेक्ट नहीं है। इसी वजह से इस अध्ययन को प्रतिष्ठित अंतरराष्ट्रीय जर्नल वैक्सीन में जगह मिली है। डॉ. डिंडा ने बताया कि 32 चूहों के पांच ग्रुप बनाए गए और विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) की ओर से तय मानक के आधार पर वैक्सीन दी गई। नियंत्रित ग्रुप और वैक्सीन वाले ग्रुप का तुलनात्मक अध्ययन किया गया। अध्ययन में यह भी सामने आया है कि यह इस पद्धति के आधार पर ट्यूबरक्लोसिस के लिए भी वैक्सीन विकसित की जा सकती है।

डॉ. डिंडा ने बताया कि अभी तक हेपेटाइटिस बी के लिए जो इंजेक्शन दिया जाता है उसकी तुलना में यह बेहद सस्ता होगा। इसका भंडारण और ट्रांसपोर्टेशन बेहद आसान होगा। इसको कमरे के तापमान पर तैयार किया गया है, इसलिए इसका भंडारण भारत जैसे देश के लिए बेहद आसान हो जाएगा। दवा को छह माह तक कमरे के तापमान पर आसानी से रखा जा सकता है। वैक्सीन पाउडर के तौर पर आम लोगों के लिए उपलब्ध होगा।

एक डोज ही काफी
वर्तमान में हेपेटाइटिस बी से बचाव के लिए जो वैक्सीन दिया जाता है उसके तीन डोज दिए जाते हैं जिसमें एक बूस्टर डोज होता है। तैयार किए जा रहे ओरल वैक्सीन की सिर्फ एक डोज करीब 10 से 12 वर्ष तक प्रभावी होगा। परंपरागत वैक्सीन की आयु भी करीब-करीब इतनी ही होती है। (स्रोत-अमरउजाला)