जानिए क्या होता है तांत्रिक सेक्स: जी हाँ तांत्रिक सेक्स

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हम सब की ज़िन्दगी में सेक्स की अहम् भूमिका है, क्योकि पूरी दुनिया इसी पर टिकी होती हैं. हर एक सभ्यता में सेक्स की क्रिया के अपने अपने तरीके बताये जाते हैं, जिसे लोग सदियों से अपनाते आये हैं.

लेकिन क्या आपने कभी तांत्रिक सेक्स के बारे में सुना हैं?

तांत्रिक सेक्स हज़ारों साल से भी पुरानी क्रिया हैं, जिसमे सेक्स के द्वारा न सिर्फ दो जिस्म मिलते हैं, बल्कि उनके बीच बना यह संबंध उन्हें शारीरिक सुख से भी आगे ले जाता हैं. तांत्रिक सेक्स द्वारा दोनों व्यक्ति चरमसुख को प्राप्त तो करते हैं, लेकिन यात्रा चरमसुख से आगे की होती हैं और इसी क्रिया की मदद से दो जिस्म जिस्मों से परे रूहों तक पहुचते हैं.

तंत्र शब्द की उत्त्पति संस्कृत भाषा से हुई जिसका अर्थ होता हैं “जानकारी के द्वारा विस्तार करना” होता हैं, और तंत्र सेक्स का अर्थ दो लोगों के बीच की अंतरंगता को जिस्म से आगे ले जाकर एक नया आयाम देना होता हैं. तंत्र सेक्स का मूल आधार सरल, सौम्य मिलन, साँसों की गति, आहें और रूमानी संकेत होते हैं. इन सभी की मदद से नियंत्रित अद्भुत चरम तक पहुचा जा सकता हैं. हांलाकि तंत्र सेक्स का मूल उद्देश्य चरम तक पहुचना ही नहीं होता दरअसल इसका मकसद जिस्मों के मिलन से भी अधिक का होता हैं.

आप तंत्र सेक्स के विषय में यह मत सोचे की वास्तविक जीवन में इसे उतारना मुश्किल होगा. तंत्र सेक्स के लिए आपको बहुत अधिक ज्ञान की ज़रूरत नहीं हैं इसका मुलभुत रहस्य चरम तक पहुचने के लिए ज़ल्दबाज़ी से बचकर सेक्स का आनंद लेना और देना होता हैं.

चरम पर नियंत्रण कर पाना हर किसी के लिय मुश्किल होता हैं लेकिन श्वास नियंत्रण, मुद्रा परिवर्तन, और मालिश की सहायता से संभव हो जाता हैं.

वैज्ञानिको के अनुसार तंत्र सेक्स के दौरान शरीर से वही हार्मोन्स निकलते हैं, जो हल्के स्पर्श और चुम्बन के वक़्त निकलता हैं. तंत्र सेक्स की मदद से दो लोगों के बीच जो रिश्ता कायम होता हैं, वह रूमानी ज्यादा होता हैं और अधिक जुड़ाव लिए होता हैं.

आईएं आप को तंत्र सेक्स के कुछ तरीके बताते हैं जिससे आप अपने पार्टनर के साथ चरम सुख से भी आगे पहुचेंगे-

1.करीब रहना- सेक्स करने की क्रिया में यह सबसे ज़रूरी होता हैं कि आप अपने पार्टनर के साथ कितने करीब बैठे हैं. तंत्र सेक्स में यही कहा जाता हैं कि फीमेल पार्टनर को अपने दोनों पैर मेल पार्टनर की कमर में डालकर उन्हें पकड़ कर बैठना चाहियें जिससे वह उनके क़रीब रहे.

2.आँखों में देखना- जब आप अपने पार्टनर के साथ इस तरह बैठते है, तो एकदुसरे की आँखों में ही देख पाते हैं और एकदूसरे में खोकर बिताया गया ये पल इतना सुकून भरा होता हैं कि जिसकी आपने कभी कल्पना भी नहीं की होगी.

3.साँसे मिलाना- यह चरण इतना रूहानी होता हैं कि जब आप किसी के इतने करीब हो कि दो लोगों की साँसे एक लय में चलने लगे, दोनों को एकदूसरे का स्पर्श इतना सुकून दे कि दोनों उस एहसास से बाहर ही न निकल पाएं तो चरम से भी अधिक सुखमय यही होगा न.

4.फोरप्ले- तंत्र सेक्स में फोरप्ले ही नीवं का काम करता हैं, लेकिन फोरप्ले में भी ऐसा हो जिसमे दोनों पार्टनर एकदूसरे के अलावा कुछ भी याद न रहे फिर चाहे वह एकदुसरे को चूमना हो या एकदूसरे छूना हो. हर एक पल इतना खुशनुमा हो जाता हैं कि चरम से भी अधिक आनंद मिलता हैं.

हम सब अपनी रोज़मर्रा की ज़िन्दगी में कई काम करते हैं, जिनसे हमें संतुष्टि मिलती हैं लेकिन सेक्स ही एक ऐसी क्रिया हैं जो दिन भर किये गए सारे कामों की थकान ख़त्म करके हम में एक नयी उर्जा भर कर हमें चरम की अनुभूति कराता हैं और वैसे भी सेक्स ही तो सभी जीवों के जीवन का सार ही तो हैं.