“एक अनमोल मित्र को मेरा पत्र”

Author   /  Reporter :     Dr. Shashank Tiwari

प्रिय मित्र,

आज मैं यह पत्र तुम्हे लिख रहा हूँ यह बताने के लिए की तुम्हारी मित्रता मेरे जीवन में कितना असर रखती है, यूँ तो हमारी मित्रता बचपन की नहीं है मगर इसमें जो प्रगाढ़ता है वो अतुलनीय है, हम जिंदगी के उस पड़ाव में मिले थे जब हम परिपक्व हो चुके थे, हम स्नातकोत्तर के पढाई के दौरान एक विश्वविद्यालय के हॉस्टल में मिले थे और मेरा कमरा ठीक तुम्हारे बाजू में था, हालाकि हमारे विषय का प्रवाह अलग अलग था फिर भी हमारे विचार काफी हद तक मिला करते थे, हम एक साथ रोज़ शाम को बैडमिंटन खेलने जाया करते थे, हमारी जोड़ी उस समय बैडमिंटन में कमाल कर रही थी, हम एक साथ बाज़ार जाते थे, लंच डिनर सब अधिकतर हमने साथ में किया उस हॉस्टल की मेस में, तुम्हे याद है कैसे हम लोग कोकाकोला की शर्त लगाया करते थे जिसमे दो लीटर की बोतल को अकेले पीना होता था.

कुछ बातें है जो मैं तुमसे बहुत पहले कहना चाहता था मगर कह नहीं पाया, जब मैं तुम्हारा जिक्र किसी से करता हूँ तो जरूर उस बात को तवज्जो दिया करता हूँ, मुझे याद है जब मुझे अपना जर्नल शुरू करना था तब किसी ने मेरा साथ नहीं दिया था मेरे अन्य मित्रों ने यहाँ तक की मेरे गुरुओं ने तब तुमने जो भरोसा मुझ पर दिखाया यकीन मानो इस बात का मैं हमेशा तुम्हारा ऋणी रहूँगा, ऐसी तमाम बातें है जो मेरे लिए बहुत मायने रखती है जैसे तुम्हारा आर्मी कैंप में हमारे ग्रुप के साथ रुकना, वो लखनऊ मैराथन में मेरे रुक जाने पर तुम्हारा साथ देना ये सब अविस्मरणीय है मेरे लिए, तुम्हारे लिए ये बातें शायद छोटी हो क्योंकि तुम्हारा ह्रदय बहुत विशाल है मगर ये यही बातें मेरे लिए अनमोल है, मैं ये यकीन दिलाता हूँ जब कभी मेरी जीवनी लिखी जाएगी या जब भी मेरे जीवन के अंत समय तक मेरे मित्रों के जिक्र में तुम्हारा नाम सब से ऊपर होगा, यूँ तो बहुत से मित्र है मेरे, मगर तुम्हारे जैसा निश्चल मित्र आज तक कोई नहीं. आज मैं तुम्हे एक वचन देता हूँ, तुम्हे जिंदगी की जिस भी पड़ाव में मेरी जरुरत होगी मैं बिना सवाल किये तुम्हारा साथ हमेशा दूंगा.....

तुम्हारा मित्र

मौलिक लेखक - डॉ शशांक तिवारी