“हाँ याद है मुझे”

Author   /  Reporter :     Dr. Shashank Tiwari

मेरे रहगुजर हाँ सब याद है मुझे,

वो तुम्हारे उसूल, वो तुम्हारे आदर्श, वो तुम्हारी बातें, जो तुम मुझसे किया करते थे, मैं तो नादान थी, तुम तो समझदार थे, रोक सकते थे मुझे, समझा सकते थे, एक बार गले से लगाया होता, कहा तो होता मैं नहीं रह सकता तुम्हारे बिना, मगर अब क्या फर्क पड़ता है, वो तुम्हारी जिद, तुम्हारी खुद्दारी,हाँ याद है मुझे...

वो तुम्ही कहते थे ना, की तुम्हारा साथ नहीं छोडूगा, क्या हुआ वो सिर्फ बातें थी या मेरा साथ नहीं पसंद था, वो तुम्ही कहते थे ना, मेरा भोलापन पसंद है, फिर उलझन कैसे होने लगी थी तुम्हे, तुमसे बिछड कर कितने दिनों तक रोई थी मैं, हाँ याद है मुझे.....

तुमने हमेशा मुझसे आगे अपना अभिमान रखा, अपने उसूल रखे, अपने कायदे रखे, बस एक बार मुझे भी आगे रखा होता तो आज हम साथ होते, सच तो ये है की तुमने मुझसे कभी अपने दिल की बात की ही नहीं थी, कैसे मेरे लाख मिन्नतों पर भी तुम आया नहीं करते थे मुझसे मिलने, हाँ याद है मुझे....

मगर ये सब छोड़ो, वो तुम्हारे संग पहली कॉफ़ी, वो तुम्हारा पहला तोहफा, तुम्हारा पहला स्पर्श, हाँ सब याद है मुझे, बस तुम अपना ख्याल रखना और दवाइयाँ थोडा कम खाना.....

 

मौलिक लेखक- डॉ शशांक तिवारी