आज वो तुम्हारा "आखिरी ख़त" मिला मुझे, ख़त तो कोरा था मगर कुछ नम सा था, महसूस किया मैंने, वो तुम्हारा भूल जाने का मशवरा, वो ख़ामोशी, वो दर्द, वो बेचैनी, वो अनकहे जज़्बात जो तुम लिख ना पाई, वो तुम्हारा मौन जो चीख रहा था, वो तुम्हारे आँसू जिन्होंने ख़त को नम कर दिया था, सब पढ़ा मैंने उस कोरे नम कागज़ में....
ताउम्र सहेज के रखूंगा तुम्हारे इस ख़त को, अपने यादों के सुनहरे दस्तावेज़ों में, हम हमसफ़र ना बन सके तो क्या हुआ, रहगुजर तो थे, जिंदगी के उन सभी मुश्किलातों को हमने एक साथ जिया, मुझे पता है जब तुम्हारे आँसू निकलते है तब तुम्हे मेरी जरुरत होती है, तुम यकीन रखना मैं हमेशा तुम्हारे साथ हूँ, जब भी तुम्हे अँधेरे घेरने लगेगें, मैं रोशनी भरा दीपक लिए तुम्हे हमेशा मिलूंगा.....तुम बस अपना ख़याल रखना.....
मौलिक लेखक- डॉ शशांक तिवारी