थेरिपी-सुने संगीत खुशहाल और निरोगी जीवन के लिए

Author   /  Reporter :     Prerana Jyoti Pandey

जिस तरह से सेहत को ठीक रखने के लिए पौष्टिक भोजन और योग की जरूरत होती है ठीक उसी तरह से इंसान के शरीर को रोगमुक्त और तनाव मुक्त के साथ चुस्त दुरूस्त रखने के लिए संगीत में भी ताकत होती है। पुराने समय से ही भारत में संगीत कला का विशेश प्रभाव रहा है। जिस बात को आज के वैज्ञानिकों नें भी शोध के आधार पर सिद्ध किया है। शोध के अनुसार संगीत का असर सीधा आपकी सोच और शरीर पर पड़ता है। सुबह, दोपहर और रात में भी संगीत का असर इंसान के शरीर पर पड़ता है। 

सुबह उठकर तबला, सितार, बांसुरी और सितार के अलावा जल तरंग को सुनने से शरीर के अंदर जो बदलाव आते हैं वे आपके मूड को तरोताजा तो करते है साथ ही आपके दिन की शुरूआत भी सकारात्मक रूप में होती है। 

दिन या दोपहर के समय संगीत का भी अपना विशेष महत्व है। दोपहर में संगीत सुनने से थकान कम होती है और आप ताजगी का अनुभव करते हो।

इसी तरह रात में भारतीय संगीत जैसे राग, बांसुरी और वायलन सुनने टेंशन खत्म होती है और आपको बहुत अच्छी नींद आती है।

म्यूजिक थैरेपी में गाना गाने, म्यूजिक सुनने या फिर संगीत के बारे में चर्चा आदि करने के बारे में सिखाया जाता है। तो अगर आप भावनात्मक रूप से हताश हैं और तनाव ने आपको पूरी तरह से घेर रखा है, तो बिना देरी किये हुए एक हेडसेट खरीदें और उसे मोबाइल से कनेक्ट कर के मन पसंद म्यूजिक का आनंद लें और हमेशा खुश रहें। आइये इसी बात पर जानते हैं म्यूजिक थैरेपी के स्वास्थ्य लाभ। बीमारियों का इलाज अब सिर्फ दवाइयों से ही नहीं, बल्कि अपरंपरागत उपचार विधियों से भी किया जाने लगा है। सुगंध, स्पर्श से लेकर संगीत द्वारा भी बहुत सी बीमारियों का इलाज किया जाने लगा है। बहुत से शोधों के उपरांत चिकित्सा विज्ञान भी यह मानने लगा हैं कि प्रतिदिन 20  मिनट अपनी पसंद का संगीत सुनने से रोजमर्रा की होने वाली बहुत-सी बीमारियों से निजात पाई जा सकती है।

हाल ही में खबर आई है कि कई दिनों से कोमा में पड़ा एक बच्चा अपनी मां की लोरी सुनकर होश में आ गया। यह सिद्ध करता है कि ध्वनि तरंगों के माध्यम से भी उपचार किया जा सकता है।

ज्योतिष में जिस प्रकार हर रोग का संबंध किसी न किसी ग्रह विशेष से होता है उसी प्रकार संगीत की हर ध्वनि या हर सुर व राग का संबंध किसी न किसी ग्रह से अवश्य होता है।

आइये जानते है संगीत सुनने से होने वाले फायदे........

वाइब्रोएकोस्टिक थैरेपी-पार्किंसन और अवसाद के मरीजों में भी वाद्य यंत्रों से उत्पन्न वाइबे्रशन का जबरदस्त प्रभाव देखने को मिला है इसे वाइब्रोएकोस्टिक थैरेपी कहते हैं। इसमें अलग-अलग आवृत्ति पर संगीत ध्वनि से वाइब्रेशन उत्पन्न किया जाता है और इसे सीधे मरीज को सुनाया व महसूस कराया जाता है। वर्ष 2009 में एक शोध में इस थैरेपी के गुण सामने आए थे। इस अध्ययन में पार्किंसन के 40 मरीजों को 30 हट्र्ज  वाइब्रेशन हर एक मिनट के अंतराल से एक-एक मिनट तक महसूस करवाया गया और इसके बेहद सुखद परिणाम सामने आए। अब विशेषज्ञ अल्जाइमर के मरीजों पर भी इसके प्रयोग के बारे में विचार कर रहे हैं।

दर्द में कमी-अलबर्टा यूनिवर्सिटी के शोधार्थियों ने 3-11 साल की उम्र के 42 बच्चों पर अध्ययन में पाया कि जिन बच्चों को अच्छा संगीत सुनाया गया, उन्हें इंजेक्शन लगाने के दौरान कम दर्द हुआ।

इम्युनिटी में इजाफा-म्यूजिक-न्यूरोसाइंस का अध्ययन कर रहे साइकोलॉजिस्ट डेनियल जे. लेविटिन का कहना है कि मानसिक एवं शारीरिक स्वास्थ्य के मामले में संगीत चिकित्सा के नतीजे बेहद रोचक और सुखद हैं।  इससे रोग प्रतिरोधक क्षमता पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है। तनाव देने वाले हार्मोन का स्राव कम होता है। इसके अलावा मां की लोरी को भी महत्वपूर्ण माना गया है। लोरी सुनने से बच्चा शांत व सजग रहता है। वह बार-बार रोता नहीं। इससे बच्चे के सोने और भोजन के समय में सुधार होकर मां बनने वाली महिलाओं के तनाव में कमी देखी गई।

व्यायाम करते वक्त संगीत सुनना फायदेमंद है-ब्रिटेन में एक सर्वे के मुताबिक़ ये पाया गया है कि संगीत उत्साह को बनाए रखता है, धैर्य बढाता है और मूड में सुधार करता है. संगीत सुनने से हमारा ध्यान व्यायाम के दौरान होनेवाली असुविधा की ओर नहीं जाता. रिसर्च में  ट्रेड मिल पर चलते हुए 30 लोगों पर संगीत के प्रभाव का अध्ययन किया गया था. मोटिवेशनल व नॉन-मोटिवेशनल संगीत सुनने के दौरान  का प्रदर्शन, संगीत नहीं सुनने के दौरान किए गए व्यायाम से बेहतर था.

संगीत सुनने से बढ़ती है स्मरण शक्ति-कुछ लोगों को पढ़ाई करते हुए संगीत सुनने की आदत होती है. उनके अनुसार, इससे वे बेहतर पढ़ाई कर पाते हैं. अब शोध भी उनकी बात साबित करते हैं. नियमित संगीत सुनना बुढापे की प्रक्रिया को कम करता है. डिमेंशिया के शिकार लोगों पर भी इसका अच्छा असर होता है. संगीत में रुचि लेना शरीर में डोपामाइन हार्मोन का स्राव करता है, जो जोश व प्रेरणा देता है. संगीत के प्रति बच्चों का झुकाव उनकी बातचीत को प्रभावी बनाता है. सोचने-समझने की क्षमता पर अच्छा असर पड़ता है, जिससे वर्बल IQ तेज़ होने लगता है.

संगीत सुनने से तनाव और बैचेनी में होती है कमी-बिना शब्दों वाला धीमी गति का मधुर संगीत सुनना मन को शांति देता है. तनाव कम होता है और बढ़ी हुई हृदय गति में सुधार आता है. श्वास प्रक्रिया सामान्य होती है. बेचैनी में तुरंत आराम मिलता है. संगीत चाहें सुनें, गाएं या बजाएं, सभी रूपों में इसका अच्छा असर देखने को मिलता है. विशेषज्ञों के अनुसार नियमित संगीत सुनना शारीरिक और मानसिक दोनों स्तर पर सुकून देता है. अच्छी नींद भी आती है. डर, कुंठा व क्रोध कम होता है. मन प्रसन्न रहता है.  सुकून चाहिए तो शास्त्रीय संगीत या फिर धीमी गति का संगीत सुनना चाहिए या फिर बासुरी की धुन सुननी चाहिए.

ब्लडप्रेशर के लिए संगीत-ब्लड प्रेशर जो कि सर्जिकल प्रोसिज़र से बढ़ जाता है उसे संगीत सुन कर कम किया जा सकता है और मरीज को स्वस्थ होने में भी कम समय लगता है।

सांस संबधी रोग जैसे अस्थमा- इस रोग में आस्था-भक्ति पर आधारित गीत-संगीत सुनने व गाने से लाभ होता है। राग मालकौंस व राग ललित से संबंधित गीत इस रोग में सुने जा सकते हैं। प्राकृतिक स्वर लहरियां जैसे समुद्र की लहरें या पानी की कल-कल से अत्यंत फायदा होता है।

संगीत कोई नया नहीं ये तो आदि काल से है राजा हो या भगवान्, मुस्लिम हो या हिन्दू हर मजहब हर धर्म में संगीत का इतिहास रहा है , संगीत सनातन है, तो अब आप भी सुने संगीत और खुद फर्क महसूस करे ...........................