आइये जानते है हिन्दू परम्पराओं के वैज्ञानिक कारण

Author   /  Reporter :     Prerana Jyoti Pandey

हमारे पूर्वजों ने जो नियम बनाये थे उनके पीछे कई तर्क और वैज्ञानिक कारण थे....आज हम आप को बताने जा रहे है कुछ हिन्दू परम्पराओं के वैज्ञानिक कारण....
दोनों हाथों को जोड़कर नमस्कार करना
वैज्ञानिक रूप से दोनों हाथों को जोड़कर नमस्कार करने से आपकी उंगलियों के टिप्स आपस में जुड़ जाते हैं, जो आपके कानों, आँखों और दिमाग के प्रेशर पॉइंट होते हैं. जब आप दोनों हाथों से जोड़कर नमस्कार करते हैं तो आपके प्रेशर पॉइंट सक्रिय हो जाते हैं. जिससे आप किसी व्यक्ति को लंबे समय तक याद रखते हैं.
भारत में औरतों का बिछिया(Toe Ring) पहनना
पैरों के अंगूठे में बिछिया(Toe Ring) पहनने का सिर्फ यह मतलब नहीं है कि औरत शादी शुदा है. इस बिछिये के पीछे एक वैज्ञानिक वजह भी है. बिछिया रक्त के प्रवाह को विनियमित करने में मदद करता है. चांदी का बिछिया धुर्वीय उर्जा को अवशोषित कर के शरीर को स्वस्थ रखने में मदद करता है.
नदी में सिक्कों को फेंकना
साधारण तौर पर सिक्कों को नदी में फेंकना किस्मत के लिए अच्छा माना जाता है. लेकिन इसके पीछे एक वैज्ञानिक वजह भी है. प्राचीन समय में सिक्के कॉपर के होते थे और नदी के पानी को ही पीने के लिए इस्तेमाल किया जाता था. जब कॉपर के सिक्कों को नदी में फेंका जाता था तब इन सिक्कों से नदी के पानी में तांबा मिल जाता था. फिर यह पानी लोगों द्वारा पिया जाता था जिससे उनके शरीर में तांबे का संतुलन बना रहता था.
माथे पर तिलक लगाना
प्राचीन समय से ही माथे के दोनों भौंहों के बीच वाली जगह को तंत्रिका बिंदु के रूप में माना जाता रहा है. इस जगह पर लगाया जाने वाला तिलक शरीर की उर्जा को खराब होने से रोकता है और यह “कुमकुम” शरीर को एकाग्र बनाये रखने में सहायता करता है.
हिंदू मंदिरों में घंटी होने की वजह
इस परम्परा के पीछे भी एक वैज्ञानिक वजह है, जब हम मंदिर के अंदर प्रवेश होने से पहले घंटी बजाते हैं तब घंटी एक तेज और टिकाऊ ध्वनि पैदा करती है. तब घंटी की गूँज 7 सेकंड तक रहती है जो हमारे शरीर के सात हीलिंग केन्द्रों को सक्रिय कर देती है. जिससे हमारे मस्तिष्क में सभी तरह के नकरात्मक ख्याल खत्म हो जाते हैं.
मसालेदार भोजन खाने के बाद मीठा खाने की परम्परा
इस प्राचीन प्रथा के पीछे भी एक वैज्ञानिक वजह है, मसालेदार भोजन पाचक रस और एसिड को सक्रिय करने का काम करता है. जिससे शरीर में भोजन को पचाने की प्रक्रिया अच्छी तरह से चलती है और उसके बाद मीठा खाने से बनने वाले कार्बोहाइड्रेट पचे हुए भोजन को नींचे खेंच लेते है.
हिंदू धर्म में हाथ और पैरों पर मेहँदी लगाने की वजह
शादी में लड़की का अपने पैरों और हाथों पर मेहँदी लगाने के पीछे एक बढ़ी वजह है. जब शादी का दिन पास आता है दुल्हे और दुल्हन पर शादी को लेकर परेशानी बढ़ती जाती है. लेकिन दुल्हन द्वारा हाथों और पैरों पर मेहँदी लगाने से दुल्हन की शादी को लेकर परेशानी कम हो जाती है.
जमीन पर बैठ कर खाना खाने की प्रथा
जमीन पर बैठ कर भोजन करने की परम्परा के पीछे भी एक वैज्ञानिक वजह है. जब आप जमीन पर बैठते हैं तब आपका शरीर शांत हो जाता है और आप में भोजन को पचाने की क्षमता में बढ़ौत्री होती है जिससे स्वत: मस्तिष्क को संकेत जाता है कि शरीर भोजन को पचाने के लिए तैयार है.
उत्तर की तरफ सर रख के ना सोना
हिंदू धर्म में उत्तर की तरफ सर कर के सोने को अशुभ माना जाता है. लेकिन इसके पीछे एक वैज्ञानिक वजह भी है. पृथ्वी की तरह हमारे शरीर में भी चुंबकीय क्षेत्र होता है, जब हम उत्तर की तरफ सर रख कर सोते हैं तो हमारा चुंबकीय क्षेत्र विषम हो जाता है. जिससे हमारे शरीर को रक्त दबाव, सर दर्द, संज्ञानात्मक जैसी समस्यायों का सामना करना पढ़ता है.
कानों में छेद करना
कानों को बीधना भारत में बहुत समय से प्रचलित परम्परा है. लेकिन इसके पीछे एक वैज्ञानिक वजह भी है कानों को छेदने से हम में भाषण-सयम की भावना आती है. ऐसा करने से हम को धृष्ट व्यवहार और विकारों से मुक्ति मिलती है.
सूर्य नमस्कार
हिन्दुओं में सूर्य नमस्कार की परम्परा बहुत प्राचीन समय से है. वैज्ञानिक रूप से देखा जाए तो सूर्य नमस्कार करना हमारी आँखों के लिए अच्छा होता है और ऐसा करने से हमारे में एक सकरात्मक उर्जा आती है जो हमको पूरे दिन शांत बनाये रखने में मददगार होती है.
पुरुष के सर में चोटी
सुशुरुत रिशी, जिनको आयुर्वेद के अग्रणी सर्जन भी कहा जाता था. उनका मानना था कि सर में सभी नसों का गठजोड़ होता है, जिसको अधिपति मरमा कहा जाता है और यह बनायी गयी चोटी इस जगह की रक्षा करती है.
व्रत रखना
व्रत रखने का वर्णन आयुर्वेद में भी है. क्योंकि मनुष्य के शरीर में पृथ्वी की तरह 80 प्रतिशत पानी है और बाकी का हिस्सा पृथ्वी की तरह ठोस है. व्रत रखने से शरीर में विवेक को बनाये रखने की क्षमता आती है जिससे शरीर में एसिड वाली सामग्री में कमी आती है
चरण स्पर्श करना
आम तौर पर कोई व्यक्ति अपना सम्मान देने के लिए अपने से बढ़े या पवित्र इंसान के चरण स्पर्श करता है. हमारे शरीर की नसें हमारे मस्तिष्क से शुरू होकर हमारे पैरों पर खत्म होती हैं. जब हम अपने हाथ किसी व्यक्ति के पैरों को स्पर्श करते हैं तब आपकी और उस व्यक्ति की उर्जा शक्ति आपस में जुड़ जाती है. इसका अर्थ उस व्यक्ति की उर्जा भी आपके शरीर में आ जाती है.
शादी-शुदा औरतों का अपने माथे पर सिंदूर लगाना
सिंदूर हल्दी-चूने और पारा धातु के मिश्रण से बना होता है. जिसको सर पर लगाने से रक्त के दबाव में नियंत्रण आता है. सिंदूर में पाया जाने वाला पारा शरीर को दबाव और तनाव को मुक्त करने में मदद करता है.
पीपल के पेड़ की पूजा
पीपल का पेड़ असल में किसी काम का नहीं होता क्योंकि ना तो इस पर फल लगते हैं और न ही फूल लेकिन फिर भी इस पेड़ को हिंदू धर्म में बहुत पवित्र माना जाता है. लेकिन सभी पेड़ों में पीपल का पेड़ ही ऐसा है जो 24 घंटे ऑक्सीजन को वायुमंडल में छोड़ता है. इसी वजह से इस पेड़ को बचाने के कारण हिंदू इस पेड़ को भगवान से जोड़ते हैं.
तुलसी के पौधे को पूजना
हिंदू धर्म में तुलसी के पौदे को मां की तरह पूजा जाता है. इसके पीछे बहुत बढ़ी वैज्ञानिक वजह भी है. तुलसी कई बीमारियों का समाधान होने के साथ साथ यह चाय बनाने में भी इस्तेमाल की जाती है और घर में तुलसी का पौदा रखने से घर में मच्छर और कीड़े नहीं आते.
मूर्ती की पूजा
हिंदू धर्म में किसी भी धर्म से ज्यादा मूर्तियों को पूजा जाता है. शोधकर्ताओं का मानना है मूर्ती पूजा से प्राथना में एकाग्रता आती है. मनोचिकित्सकों का मानना है कि मनुष्य अपने सामने वाले व्यक्ति के अनुसार ही अपने विचार बदलता है. इसीलिए साइंस की मानें तो मूर्ती पूजा से प्रार्थना में ध्यान बढ़ता है.
भारतीय औरतों का चूड़ियां पहनना
हमारे शरीर की कलाई बहुत महत्वपूर्ण हिस्सा है इस जगह पर हाथ रख कर नाड़ी की धड़कन को चेक किया जाता है जिससे शरीर की कई बीमारियों का पता लगता है. इसके इलावा शरीर के बाहरी स्किन से गुजरने वाली बिजली को जब निकलने की कोई जगह नहीं मिलती तो चूड़ियों की वजह से यह बिजली वापिस शरीर में चली जाती है.
मंदिर जाना
मंदिर सकरात्मक उर्जा प्रधान करते हैं. मंदिर तब मंदिर बनता है जब वहां मूर्ती की स्थापना होती है. मूर्ती के सामने वहां तांबे की प्लेटें भी रखी जाती हैं. जिस पर कई मंत्र लिखे होते हैं. असल में यह मंत्र सकरात्मक उर्जा नहीं प्रधान करते. वहां रखी तांबे की प्लेटें धरती से निकलने वाली चुंबकीय तरंगे अपने अंदर सोख लेती हैं और उन तरंगों को मंदिर के कोने कोने तक फैला देती हैं. जब हम रोज मंदिर जाते हैं तो यह तरंगे हम में सकरात्मक उर्जा पैदा करती हैं.