आइये एक अनसुलझे रहस्य से रूबरू होते हैं, उत्तराखंड जो दो मंडल में बटा हुआ हैं, कुमाऊँ और गडवाल। गडवाल की और नज़र करे तो यहाँ के कई ऐसे जिले जिनमे पोड़ी, उत्तरकाशी, टिहरी, रुद्रप्रयाग कई क्षेत्र ऐसे हैं, जहाँ देवी- देवताओ के अलावा भी परियो की पूजा की जाती हैं, कहा जाता हैं परिया लोगो के शरीर में प्रवेश करती हैं, नाचती हैं झूमती हैं, और चढ़ावा लेती हैं, बात यही तक सिमट कर नही रह जाती। यहाँ तक की जिन व्यक्तियो की अकाल मृत्यु हो जाती हैं,किसी दुर्घटना में तो वह व्यक्ति अपने ही परिवार के किसी सदस्य के शरीर में आ जाता हैं और परेशान करता हैं, उसकी आत्मा को शांत करने के लिए उसके परिवार के सदस्य मंदिर बना देते हैं, मंदिर किसी ईश्वरीय शक्ति का नही मंदिर उसी व्यक्ति के नाम पर बनता हैं, जिसकी मृत्यु हुई हैं, और फिर मंदिर में चलती है उसकी पूजा- अर्चना। यहाँ तक कि बलि रूप में मंदिर में श्रीफल भी चढ़ाया जाता हैं, जो नारियल का ही प्रतिरूप हैं,जिस व्यक्ति का मंदिर बनाकर पूजा की जाती हैं उसे देवता का नाम दे दिया जाता हैं, उनके परिवार का मानना हैं कि यदि वह ऐसा नही करेंगे तो वो आत्मा उनका अनिष्ट कर देगी, न जाने कितने ऐसे मंदिर ऐसे बनाये गए हैं जो मृत व्यक्तिओ के नाम पर उसी जगह बने हैं, जहां उनकी मृत्यु हुई हैं, मंदिर जिन्हें गिनना भी एक पहेली बन चुकी हैं,रस्ते में बने उस मंदिर पर यदि कोई माथा नही टेकता तो भी उसके साथ अनिष्ट होगा ऐसा यहाँ के लोगो का विशवास हैं,वही आत्मा लोगों के शरीर में आकर परेशान लोगो की समस्या का हल बताती हैं ,और सवालो के जबाब देती हैं,
आज की 21वी सदी में भी जहाँ एक और कंप्यूटर और टेक्नोलॉजी का जमाना हैं, वही दूसरी और आज भी मृत व्यक्ति को देवता बना कर पूजा की जा रही हैं, सच को जानने की कोशिश किये बिना,जब बात किसी सम्प्रदाय या परंपरा और आस्था से जुडी होती हैं तो उसे जड़ से उखाड़ने में काफी समय लगता हैं या कहे तो काफी साल बीत जाते हैं,खुली आँखों से विश्वास से परे अंधविश्वास की कोई सीमा नही हैं, क्या सच में परियो का मंदिर होना चाहिए, या सच में मृत व्यक्ति को देवता बना कर पूजना सही हैं, जिसका खुद कोई जीवन का आधार नही हैं जिसका खुद कोई अस्तित्व नही हैं। तो वो कैसे जीवित व्यक्तिओ की समस्या का समाधान कर सकता हैं, या वो परिया जिनका युगों से काल्पनिक कहानियो तक ही आधार रहा हैं,जो स्वयं में ही खुद एक पहली हैं, ये कुछ ऐसे सवाल है, जिनका जबाव अपने आप में ही एक रहस्य हैं और ये रहस्य अंधविश्वास से निहित हैं,और कहना गलत नही होगा कि जो सो रहा हैं उसे नींद से जगाया जा सकता हैं, पर जो सोने का बहाना बनाया हुआ हैं उसे जगाया नही जा सकता।