कामसूत्र का जन्म भारत से माना जाता है। कामसूत्र से जुड़ी कई कहानियां हमने सुनी हैं। कामसूत्र जितना विवादित अपने विषय के लिए है , उतना ही विवादित अपने आरंभ और इतिहास के लिए भी है। कहा जाता है कि जब भगवान ने सृष्टि का निर्माण कर स्त्रियों और पुरुषों को बनाया, तो उन्होंने जीवन के चार जरूरी आयामों के बारे में बताया । ये चार जरूरी आयाम हैं- धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष
चूंकि पहले तीन कार्य दैनिक जीवन से जुड़े थे, इसलिए भगवान के तीन भक्तों ने इन तीनों नियमों को अलग-अलग लिखा। धर्म की बातें लिखीं मनु ने, अर्थ का बातें लिखी बृहस्पति ने और काम की बातें लिखी नंदिकेश्वर ने। नंदिकेश्वर की किताब को ‘काम’ का सूत्र यानि‘ कामसूत्र’ कहा गया। यह कामसूत्र एक हजार भागों में विभाजित थी। इसके बाद इसका संपादन कर इसे छोटा किया श्वेतकेतु ने।श्वेतकेतु महर्षि उद्दालक के पुत्र थे। श्वेतकेतु की कामसूत्र भी बहुत बड़ी थी। इसके बाद इसका और संपादन किया बाभ्रव्य ने, जो पांचाल देश के राजा, ब्रह्मदत्त के राज्य में मंत्री थे। बाभ्रव्य ने कामसूत्र को सात प्रमुख भागों में विभाजित कर दिया। इन सातों भागों पर अलग-अलग किताब लिखी गई।
ये सात भाग थे:
1. साधारण– सामान्य नियम
2. सांप्रयोगिक– शारीरिक प्रेम संबंध
3. कन्या सांप्रसुक्तक– विवाह से पहले ‘संबंध’ और शादी
4. भार्याधिकारिका– पत्नी से संबंधित बातें
5. पारदारिका– दूसरों की पत्नियों को रिझाना / आकर्षिकत करना
6. वैशिका– वेश्या से जुड़ी बातें
7. औपनिशादिका– गुप्त किस्से और कहानियां
वात्सयायन का समय आते-आते कामसूत्र कई बार संपादित हो चुकी थी । अब कामसूत्र के सात भाग हो चुके थे। इसलिए वात्स्यायन ने पाठकों की सहूलियत के लिए सातों किताबों को एकत्रित कर, सभी किताबों की प्रमुख बातें और बिन्दु एक ही किताब में जमा कर ली थी। इस किताब को हम आज ‘कामसूत्र’ के नाम से जानते हैं। इसका मतलब यह है कि जो ‘कामसूत्र’ आज उपलब्ध है वह ‘ओरिजनल वर्ज़न’ नहीं।
वात्सायन के कामसूत्र में सात भागों को 36 अध्यायों में बांटा गया है। इनमें कुल 1250 श्लोक हैं। सात भाग में से एक भाग में प्रेम कला को 8 श्रेणियों में बांटा गया है जिनमें 8-8 भेद हैं। यानी सेक्स के लिए 64 पोजीशंस की बात की गई है।
कामसूत्र के7 भाग इस प्रकार हैं, जिसमें पूरे ग्रंथ का समावेश है :
भाग 1
पहले भाग में, जीवन के लक्ष्य की बात कही गई है। इसमें जीवन की प्राथमिकताएं और ज्ञान के बारे में बातें की गई हैं । सुखी -संपन्न कैसे बनें इन सब के साथ कैसे आप प्रेम की दुनिया में प्रवेश करें इत्यादि बातों के बारे में बताया गया है।
भाग 2
इस भाग में मनुष्य की इच्छाओं का वर्णन किया गया है। इसमें संभोग के आयामों जैसे आलिंगन, चुंबन, नाखूनों का इस्तेमाल, दांतों का इस्तेमाल, संभोगकाल, ओरल सेक्स, इंटरकोर्स, विपरीत लिंग रति इत्यादि चीजों का वर्णन हैं। इन इच्छाओं को कैसे 64 पोजीशंन के जरिए पूरा किया जा सकता है। ये सब इस भाग में वर्णित है जिसके कारण कामसूत्र ग्रंथ इतना मशहूर हुआ।
भाग 3
कितने प्रकार की होती है शादी, अच्छी लड़की कैसे पाएं, लड़की आरामदायक स्थिति में कब होती है, अकेले कैसे रहें, शादी कैसे दो लोगों का मिलन है इत्यादि विषयों पर इस भाग में चर्चा की गई है।
भाग 4
एक पत्नी का आचरण कैसा होना चाहिए । यदि एक से ज्यादा पत्नी हैं तो मुख्य पत्नी का आचरण कैसा हो और बाकी का आचरण कैसा हो, इन सब बातों के बारे में इस भाग में चर्चा की गई है।
भाग 5
इस भाग में पुरुष और महिला के आपसी व्यवहार के बारे में इस भाग में चर्चा की गई है । इसमें बताया गया है कि स्त्री-पुरुष एक दूसरे को कैसे जानें , किस प्रकार एक दूसरे की भावनाओं का मूल्यांकन करें, इसके साथ ही महिलाओं के व्यवहार के संदर्भ में भी इस भाग में चर्चा की गई है।
भाग 6
इस भाग में महिलाओं के लिए जानकारी दी गई है। इसमें महिलाओं को बताया गया है कि प्रेमी के चयन में किन बातों का ध्यान रखा जाए। अच्छा प्रेमी कैसे चुना जाए । पूर्व प्रेमी से निपटने के तरीके, दोस्ती को रिचार्ज करने के जरिए आदि पर इस भाग में विस्तार से चर्चा की गई है।
भाग 7
शारीरिक आकर्षण कैसे बढ़ाएं, सेक्स क्षमता की कमी को दूर करने के तरीके, इन सब के बारे में कामसूत्र के अंतिम भाग में चर्चा की गई है। कामसूत्र इन सात चरणों में लिखा गया है। इन चरणों को पढ़ने से ही अंदाजा लग जाता है कि कामसूत्र केवल सेक्स ही नहीं है, इसमें काफी कुछ है।