1. सुखी जीवन के सूत्र :
दोस्तों से मेलजोल, ज्यादा धन कमाना, पुत्र का आलिंगन, मैथुन में प्रवृत्ति, सही समय पर प्रिय वचन बोलना, अपने वर्ग के लोगों में उन्नति, अभीष्ट वस्तु की प्राप्ति और समाज में सम्मान.
2. ये लोग धर्म नहीं जानते :
नशे में धूत, असावधान, पागल, थका हुआ, क्रोधी, भूखा, जल्दबाज, लालची, डरा हुआ व्यक्ति और कामी.
3. 6 प्रकार के मनुष्य हमेशा दुखी रहते हैं:
ईर्ष्या करने वाला, घृणा करने वाला, असंतोषी, क्रोधी, शक करने वाला और दूसरों के सहारे जीवन निर्वाह करने वाला.
4. ये 6 सुख हैं :
नीरोग रहना, ऋणी न होना, परदेश में न रहना, अच्छे लोगों के साथ मेलजोल रखना, अपनी वृत्ति से जीविका चलाना और निडर होकर रहना.
5. ये 8 गुण ख्याति बढ़ाते हैं :
बुद्धि, कुलीनता, इन्द्रियनिग्रह, शास्त्रज्ञान, पराक्रम, अधिक न बोलना, शक्ति के अनुसार दान देना और कृतज्ञता.
6. द्वाविमौ ग्रसते भूमिः सर्पो बिलशयानिव .
राजानं चाविरोद्धारं ब्राह्मणं चाप्रवासिनम् ॥
बिल में रहने वाले जीवों को जैसे सांप खा जाता है, उसी प्रकार शत्रु से डटकर मुकाबला न करने वाले शासक और परदेश न जाने वाले ब्राह्मण – इन दोनों को पृथ्वी खा जाती है.
7. द्वे कर्मणी नरः कुर्वन्नस्मिँल्लोके विरोचते .
अब्रुवन्परुषं किं चिदसतो नार्थयंस्तथा ॥
इन दो कर्मों को करनेवाला मनुष्य इस लोक में विशेष शोभा पाता है : 1. बिल्कुल भी कठोर न बोलने वाला | 2. बुरे लोगों का आदर नहीं करने वाला
8. द्वाविमौ पुरुषव्याघ्र परप्रत्यय कारिणौ .
स्त्रियः कामित कामिन्यो लोकः पूजित पूजकः ॥
2 प्रकार के लोग दूसरों पर विश्वास करके चलते हैं, इनकी अपनी कोई इच्छाशक्ति नहीं होती है : 1. दूसरी स्त्री द्वारा चाहे गए पुरुष की कामना करने वाली स्त्रियाँ | 2. दूसरों द्वारा पूजे गए व्यक्ति की पूजा करने वाले लोग
9. द्वाविमौ कण्टकौ तीक्ष्णौ शरीरपरिशोषणौ .
यश्चाधनः कामयते यश्च कुप्यत्यनीश्वरः ॥
ये दो आदतें नुकीले कांटे की तरह शरीर को बेध देती है: 1. गरीब होकर भी कीमती वस्तुओं की इच्छा रखना | 2. कमजोर होकर भी गुस्सा करना.
10. द्वाविमौ पुरुषौ राजन्स्वर्गस्य परि तिष्ठतः .
प्रभुश्च क्षमया युक्तो दरिद्रश्च प्रदानवान् ॥
ये दो प्रकार के पुरुष स्वर्ग से भी ऊपर स्थान पाते हैं : 1. शक्तिशाली होने पर भी क्षमा करने वाला | 2. गरीब होकर भी दान करने वाला.
11. न्यायागतस्य द्रव्यस्य बोद्धव्यौ द्वावतिक्रमौ .
अपात्रे प्रतिपत्तिश्च पात्रे चाप्रतिपादनम् ॥
सही तरह से कमाए गए धन के दो ही दुरुपयोग हो सकते हैं : 1. अपात्र को दिया जाना 2. सत्पात्र को न दिया जाना
12. द्वाविमौ पुरुषव्याघ्र सुर्यमण्डलभेदिनौ .
परिव्राड्योगयुक्तश्च रणे चाभिमुखो हतः ॥
ये दो प्रकार के पुरुष सूर्यमंडल को भी भेद कर सर्वोच्च गति को प्राप्त करते हैं : 1. योगयुक्त सन्यासी 2. वीरगति को प्राप्त योद्धा.
13. 1 (यानि बुद्धि) से 2 (यानि कर्त्तव्य और अकर्तव्य) का निश्चय करके 4 (यानि साम,दाम,दंड और भेद) से 3 (यानी मित्र, शत्रु और उदासीन ) को वश में कीजिये,
14. 5 इन्द्रियों को जीतकर 6 (यानि संधि, विग्रह ,यान ,आसन ,द्वैधीभाव, समश्रयरूप) गुणों को जानकार तथा 7 (यानि स्त्री, जुआ, शिकार, मद्य, कठोर वचन,दंड की कठोरता और अन्याय से धन का उपार्जन) को छोड़ कर सुखी हो जाईये.
15. द्वावेव न विराजेते विपरीतेन कर्मणा.
गृहस्थश्च निरारम्भः कार्यवांश्चैव भिक्षुकः
जो अपने स्वभाव के विपरीत कार्य करते हैं वह कभी नहीं शोभा पाते. गृहस्थ होकर अकर्मण्यता और सन्यासी होते हुए विषयासक्ति का प्रदर्शन करना ठीक नहीं है.
16. राजा को निम्न सात दोषों को त्याग देना चाहिये-स्त्रीविषयक आसक्ति, जुआ, शिकार, मद्यपान, वचन की कठोरता, अत्यन्त कठोर दंड देना और धन का दुरुपयोग करना.
17. जो किसी दुर्बल का अपमान नहीं करता, सदा सावधान रहकर शत्रु से बुद्धि पूर्वक व्यवहार करता है, बलवानों के साथ युद्ध पसंद नहीं करता तथा समय आने पर पराक्रम दिखाता है, वही धीर है.
18. जो दान, होम, देवपूजन, मांगलिक कार्य, प्रायश्चित तथा अनेक प्रकार के लौकिक आचार-इन कार्यो को नित्य करता है, देवगण उसके अभ्युदय की सिद्धि करते हैं.
19. जो अपने बराबर वालों के साथ विवाह, मित्रता, व्यवहार तथा बातचीत रखता है, हीन पुरूषों के साथ नहीं, और गुणों में बढे़ पुरूषों को सदा आगे रखता है, उस विद्धान की नीति श्रेष्ठ है.
20. ऐसे पुरूषों को अनर्थ दूर से ही छोड़ देते हैं-जो अपने आश्रित जनों को बांटकर खाता है, बहुत अधिक काम करके भी थोड़ा सोता है तथा मांगने पर जो मित्र नहीं है, उसे भी धन देता है.
21. जो धातु बिना गर्म किये मुड जाती है, उसे आग में नहीं तपाते. जो काठ स्वयं झुका होता है, उसे कोई झुकाने का प्रयत्न नहीं करता, अतः बुद्धिमान पुरुष को अधिक बलवान के सामने झुक जाना चाहिये.
22. सत्य से धर्म की रक्षा होती है, योग से विद्या सुरक्षित होती है, सफाई से सुन्दर रूप की रक्षा होती है और सदाचार से कुल की रक्षा होती है, तोलने से अनाज की रक्षा होती है, हाथ फेरने से घोड़े सुरक्षित रहते हैं, बारम्बार देखभाल करने से गौओं की तथा मैले वस्त्रों से स्त्रियों की रक्षा होती है.
23. बुद्धिमान के लक्षण :
24. मूर्ख के लक्षण :
25. जब ये 4 बातें होती हैं तो व्यक्ति की नींद उड़ जाती है :
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