Che Guevara चे ग्वेरा एक ऐसा नाम है जिसको भारत में शायद कोई जनता न हो लेकिन उसके चित्र बनी हुयी टीशर्ट को भारत के लाखो युवा पहनते है | 50 और 60 के दशक में चे ग्वेरा वो शख्स है जिसने अमेरिका जैसे शक्तिशाली देश को चुनौती दे दी थी | युवाओं के हको की लड़ाई के लड़ने वाले चे ग्वेरा में अपना जीवन उनके लिए न्योछावर कर दिया था | आशा की किरण जगाने वाले Che Guevara चे ग्वेरा को आज पुरी दुनिया जानती है और उसके पोस्टर पुरी दुनिया में पहुचे जिन्होंने वर्तमान में टीशर्ट पर अपना आधिपत्य जमा लिया | चलो आज उसी क्रांतिकारी शख्स Che Guevara की जीवन के रोचक तथ्यों से आपको रुबुरु करवाते है |
चे ग्वेरा का असली नाम “अर्नेस्टो ग्वेरा दे ला सेरना लिंच “
इस युवा क्रान्तिकारी का असली नाम “अर्नेस्टो ग्वेरा दे ला सेरना लिंच ” था तो आपके मन में ये प्रश्न उठ रहा होगा कि तो उसके नाम के आगे “चे” शब्द कहा से आया | आइये आपको बताते है | अर्नेस्तो ग्वेरा का जन्म एक स्पेनिश परिवार में हुआ था जो कि मूल रूप से आयरिश थे | इतालवी भाषा में “चे” का अर्थ होता है दोस्त और क्रांतियो के दौरान उनके सारे दोस्त निकनेम “ची” से पुकारते थे तब से उनका नाम ची ग्वेरा पड़ गया था |
जन्म अर्जेंटीना में और ख्याति मिली क्यूबा से
ज्यादातर Che Guevara चे ग्वेरा के जीवन के इतिहास को हम क्यूबा से जोडकर देखते है लेकिन चे ग्वेरा का जन्म वास्तव में 14 जून 1928 को अर्जेंटीना के उच्च मध्यमवर्गीय परिवार में हुआ था| दो वर्ष की आयु में उन्हें दमा हो गया और वे आजीवन इस रोग से ग्रस्त रहे | उनके माता पिता कोरडोबा आ गये ताकि वहा की जलवायु में उनकी दशा में सुधार हो सके | हालांकि चे हमेशा रोगी रहे | अपनी पढाई पुरी करने के बाद वो क्यूबा आ गये थे और कम्युनिस्ट पार्टी से जुडकर विद्रोह में लग गये थे |
एक प्रशिक्षित डॉक्टर जिसने क्रांति के खातिर अपना पेशा छोड़ा
Che Guevara चे ग्वेरा एक बुद्धिमान और पढ़ा लिखा व्यक्ति था और आपको जानकर आश्चर्य होगा कि चे एक एक प्रशिक्षित डॉक्टर भी था | चे यूनिवर्सिटी की पढाई पुरी करने के बाद 1954 मेक्सिको आ गया था | यहाँ पर उसने विशेष रूप से कुष्ठ रोग की चिकित्सा सीख रहे थे | इसके बाद वो पेरू में कुष्ठ कोलोनी में रोग अध्ययन करने लगे | छे अगर चाहता तो डॉक्टर बनकर आराम से अपना जीवन चला सकता था लेकिन उसके देश की गरीबी और गरीबो पर हो रहे शोषण को देखते हुए वो मार्क्सवाद के तरफ झुक गया था | चे ने क्रांति के दौरान एक कमांडर और एक डॉक्टर दोनों की भूमिका निभाई थी |
एक क्रांतिकारी के साथ कवि ,लेखक और शतंरज खिलाड़ी
Che Guevara चे एक लेखक ,कवि ,गणितज्ञ और दार्शनिक था | चे ने अपने स्कूल के दिनों से ही कई उपलब्धिया हासिल कर ली थी | 12 साल की उम्र से उसने शतरंज के आयोजनों में भाग दिया था | चे के अपनी युवावस्था से ही एक उत्साही कवि था | चे के घर से 3000 से भी ज्यादा पुस्तके मिली थी जिससे पता चलता है कि उस पढने का कितना शौक था | उसने अपनी शौक के चलते गुरिल्ला पद्धति से लड़ाई की थी |
मोटरसाइकिल से की अर्जेंटीना से अमेरिका की यात्रा
चे ने अपने जीवन में दो बड़ी यात्राये की थी | चे ने अपनी पहली यात्रा 1950 में उत्तरी अर्जेंटीना के ग्रामीण इलाको में साइकल से की थी | अपनी इस पहली यात्रा में वो अकेले 4500 किलोमीटर चले थे | इसके बाद 1951 में उसने दक्षिणी अमेरिका के कई हिस्सों की लगभग 8000 किमी की यात्रा मोटरसाइकिल से की थी जिसे उसके लिखे नोट के आधार पर The Motorcycle Diaries नामक पुस्तक में संग्रहित किया गया | इस यात्रा में चे अर्जेंटीना से शुरू होते हुए चिली ,पेरू इक्वाडोर ,वेनेजुएला ,पनामा ,मिआमी और फ्लोरिडा की यात्रा केवल 20 दिन में पुरी की | उनकी इस यात्रा में उनका एक दोस्त ब्युनो उसके साथ था |
क्यूबा से की अपने आन्दोलन की शुरुवात
केवल 27 वर्ष की उम्र में 1955 में चे की मुलाकात वहा के क्यूबा के क्रांतिकारी फिदेल क्रस्तो से हुयी | चे अपनी शक्तिशाली छवि के चलते जल्द ही वहा के लोगो में जाना पहचाना जाने लगा | क्रान्ति की उनकी मुख्य भूमिका के चलते क्यूबा के प्रधानमंत्री बने और उनके शासन में चे को राष्ट्रीय बैंक के चीफ का पद सौंपा गया | इसके बाद चे को क्यूबा का उद्योग मंत्री भी बनाया गया | यही नही 1964 में तो चे को संयुक्त राष्ट्र महासभा में अपने देश क्यूबा की ओर से प्रतिनिधत्व करने का मौका भी मिला था | उस समय उनकी उम्र 36 वर्ष थी |
फोटो खीचने फोटोग्राफर ने चे की फोटो से कुछ नही कमाया
चे के आइकोनिक फोटो को क्यूबा के अल्बेर्तो कोर्दा ने हवाना में 5 मार्च 1960 को खींचा था जिसका शीर्षक था Guerrillero Heroico एक महान गुरिल्ला फाइटर | इसके बाद चे की यही पोपुलर फोटो झंडो , बेज और कपड़ो पर दिखाई देने लगी | इस फोटो को खीचने वाले ने भले इससेबिलकुल कमाई नहे की लेकिन आज इस फोटो की कीमत बहुत ज्यादा है मतलब की इस फोटो की प्रिंटेड कपड़ो की कीमत से है |
बोलीविया में हुयी चे की मौत
चे ने कांगो में रहते हुए बागियों को गुरिल्ला पद्धति से रुबुर करवाया था | इसके बाद उन्होंने गुरिल्ला पद्धति से बोलीविया के विद्रोहियों को भी प्रशीक्षित किया था | अमेरिका के ख़ुफ़िया लोग चे को बड़ी मुस्तैदी के साथ खोज ही रहे थे और अंत में उनकी खोज बोलीविया में आकर खत्म हुयी | यहा पर सेना की मदद लेकर चे को अमेरिकी सेना ने पकडकर मौत के घाट उतार दिया | केवल 39 साल का ये युवा अपने आदर्शो की रक्षा के लिए मारा गया |
भारत यात्रा
बहुत की कम लोगो को ये पता होगा कि चे ने भारत भ्रमण भी किया था | ये बात तब की है जब वो क्यूबा सरकार में एक मंत्री के तौर पर कार्यरत थे | भारत भ्रमण से चे को कई बाते सीखने को मिली जैसे देश का विकास करने के लिए तकनीकी का विकास होना जरुरी है जिसके लिए वैज्ञानिक संस्थान होना आवश्यक है | अपनी इस यात्रा के बारे में एक रिपोर्ट चे ने 1959 में फिदेल क्रस्तो को दी थी | अपनी रिपोर्ट में उन्होंने नेहरु जी के स्वागत और आत्मीयता का जिक्र भी किया था |