तिरूमाला वेंकटेश्वर मंदिर, आंध्र प्रदेश के हिल शहर तिरूमाला में स्थित भगवान वेंकटेश्वर का प्रसिद्ध हिंदू मंदिर है। इस मंदिर को भारत के सबसे प्राचीन मंदिरों में से एक माना जाता है।यह मंदिर, वेंकटाद्री पहाड़ी पर बना हुआ है जो तिरूमाला की सात पहाडियों में से एक पहाड़ी है। कई लोग इस मंदिर को सात पहाडियों का मंदिर भी कहा जाता है। इस मंदिर में भगवान श्रीनिवास या बालाजी या वेंकटाचालपैथी की आराधना की जाती है जो हिंदूओं के प्रमुख देवता थे। इस मंदिर के बारे में कई कहानियां व दंत कथाएं कही जाती हैं, साथ ही कई रहस्य भी हैं। आइए जानते हैं वेंकटेश्वर मंदिर से जुड़ी कुछ रहस्यमयी बातें :
१. मंदिर के मुख्य प्रवेश द्वार पर, दाईं ओर एक एक छड़ी रहती है जिसका इस्तेमाल वहां उपस्थिति वेंकटेश्वर स्वामी को हिट करने के लिए अनंतालवर के द्वारा किया जाता था। जब इस छड़ का इस्तेमान नन्हे बालक के रूप में वेंकटेश्वर को मारने के लिए किया गया था, तो उनकी ठोड़ी पर चोट लग गई थी। तब से वेंकटेश्वर को चंदन का लेप ठोडी पर लगाये जाने की शुरूआत की गई।
२. इस मंदिर में वेंकटेश्वर स्वामी की मूर्ति पर लगे हुए बाल उनके असली बाल हैं। ऐसा कहा जाता है कि ये बाल कभी उलझते नहीं है और हमेशा इतने ही मुलायम रहते हैं।
३. इस मंदिर से 23 किमी. दूर एक गांव स्थित है। इस गांव में सिर्फ वही लोग आ जा सकते हैं जो इस गांव के निवासी हो। इस गांव के लोग, सख्त नियमों के साथ अपना जीवन बिताते हैं। इसी गांव से भगवान वेंकटेश्वर के लिए, फूल, दूध, घी, मक्खन आदि सामग्री जाती है।
४. वेंकटेश्वर स्वामी की स्थापना, गर्भ गुदी के मध्य में की गई है, ऐसा प्रतीत होता है। लेकिन वास्तव में, जब आप इसे बाहर से खड़े होकर देखें, तो पाएंगे कि यह मंदिर के दाईं ओर स्थित है।
५. मूर्ति पर चढ़ाये जाने वाले सभी फूलों और तुलसी पत्रों को भक्तों में न बांटकर, परिसर के पीछे बने पुराने कुएं में फेंक दिया जाता है।
६. स्वामी का पिछला हिस्सा सदैव नम रहता है। अगर आप ध्यान से कान लगाकर सुनें तो आपको सागर की आवाज सुनाई देती है।
७. गुरूवार के दिन, मंदिर में निज रूप दर्शनम् का आयोजन किया जाता है, जिसमें सफेद चंदन के पेस्ट से स्वामी को रंग दिया जाता है। जब इस लेप को हटाया जाता है तो माता लक्ष्मी के चिन्ह् बने रह जाते हैं। इन चिन्हों को मंदिर के अधिकारियों द्वारा बेच दिया जाता है।
८. जिस प्रकार जब किसी की मृत्यु हो जाती है तो पीछे मुड़कर नहीं देखा जाता है और न ही रोशनी की जाती है। उसी प्रकार, इस मंदिर के पुजारी, पूरे दिन मूर्ति के पुष्पों को पीछे फेंकते रहते हैं और उन्हें नहीं देखते हैं। मंदिर में चढाये जाने वाले फूलों को दूर स्थित एक विशेष गांव से लाया जाता है।
९.इस मंदिर में एक दीया कई सालों से जल रहा है किसी को नहीं ज्ञात है कि इसे कब जलाया गया था।
१०.1800 में, इस मंदिर को कुल 12 वर्षों के लिए बंद कर दिया गया था। उस दौरान, एक राजा ने 12 लोगों को दंडस्वरूप मौत की सजा दी और मंदिर की दीवार पर लटका दिया। कहा जाता है कि उस समय विमान वेंकटेश्वर स्वामी प्रकट हुए थे।
११.बालाजी की मूर्ति पर पचाई कर्पूरम चढ़ाया जाता है जो कपूर से मिलकर बना होता है। अगर इसे किसी साधारण पत्थर पर चढाया जाये, तो वह कुछ ही समय में चटक जाये, लेकिन मूर्ति पर इसका प्रभाव नगण्य रहता है।
१२.मूर्ति का तापमान 110 फारेनहाईट रहता है, जबकि इसे प्रतिदिन सुबह 4:30 बजे ही जल, दूध से स्नान करा दिया जाता है। स्नान कराने के बाद मूर्ति से पसीना आता है जिसे पोंछा जाता है।