जी हाँ अब डायबिटीज रोगियों के लिए खुशखबरी है।
राष्ट्रीय वनस्पति उद्यान संस्थान 'एनबीआरआई' ने एक हर्बल औषधि तैयार की है, जिसके कोई साइड इफेक्ट नहीं हैं। संस्थान के प्रमुख वैज्ञानिक एकेएस रावत ने बताया कि हमने टाइप-2 डायबिटीज रोयिगों के लिए एक दवा विकसित की है जो आयुर्वेद के सिद्धांत पर आधारित है। इसके कोई साइड इफेक्ट नहीं है। उन्होंने बताया कि आम तौर पर एंटीजन शरीर के अंगों पर असर डालते हैं लेकिन हमारी औषधि में एंटी आक्सीडेंट है जो डायबीटीज रोगियों के लिए अच्छा है। रावत ने बताया कि औषधि को विकसित करने की पहल एनबीआरआई के निदेशक सी एस नौटियाल ने की। औषधि को गोलियों के स्वरूप में दिया जाएगा। इस आयुर्वेदिक औषधि का नाम 'बीजीआर-34' रखा गया है और इसकी 100 गोलियों की कीमत पांच सौ रूपए हो सकती है। रावत ने कहा कि यदि लंबे समय तक ली जाए तो नई औषधि इंसुलिन पर निर्भरता को कम कर सकती है। प्राकतिक औषधियों से तैयार ये दवाई सीएसआईआर की दो प्रयोगशालाओं एनबीआरआई और सेंट्रल इंस्टीच्यूट ऑफ मेडिसिनल एंड एरोमेटिक प्लांट सी-मैप ने विकसित की है। दोनों ही लखनऊ में हैं। एनबीआरआई ने दिल्ली की एक फर्म को दवाई के वाणिज्यिक उत्पादन की अनुमति दी है। यही फर्म इसकी मार्केटिंग भी करेगी।
रावत ने बताया कि औषधि चार पौधों से बनी है, जिनका उल्लेख आयुर्वेद में है। यह औषधि पूरी तरह सुरक्षित है। उन्होंने बताया कि जानवरों पर कराए गये परीक्षणों तथा संबद्ध वैज्ञानिक अध्ययन से पता चला कि यह दवाई पूरी तरह सुरक्षित है और अचूक है। चिकित्सकीय परीक्षणों में 67 प्रतिशत की सफलता दर हासिल हुई है। रावत ने बताया कि नई दवाई शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाती है और एंटी आक्सीडेंट के रूप में कार्य करती है। उन्होंने कहा कि आम तौर पर लगातार एंटीबायोटिक दवाओं के इस्तेमाल से गुर्दे, लीवर और हृदय पर असर पड़ता है लेकिन इस हर्बल औषधि से कोई नुकसान नहीं होगा। उन्होंने कहा कि बाजार में कई डायबिटीज नियंत्रक हर्बल औषधियां हैं लेकिन बीजीआर-34 को वैज्ञानिकों ने प्रामाणिक बताया है। इस दवाई से सामान्य रक्त ग्लूकोज स्तर बना रहेगा। अधिक ब्लड शुगर वाले मधुमेह रोगियों के लिए यह दवाई कारगर है और उन्हें सामान्य जीवन जीने में मदद करेगी।
रावत ने बताया कि 1971 से 2000 के बीच डायबिटीज रोगियों की संख्या दस गुना हो गई है। उन्होंने कहा अनुमान है कि 2011 के आंकडों के मुताबिक भारत में 20 से 79 साल की उम्र वाले 613 करोड़ डायबिटीज रोगी हैं। यह संख्या 2030 तक बढकर 1012 करोड़ होने की आशंका है।