बेजुबा आखें

Author   /  Reporter :     Dr. Shashank Tiwari

एक-एक कर के सारे अपनों को खोता गया हूँ मै

बस यही सोच कर आज सारी रात रोता गया हूँ मै

जब सुबह वो मुझे छोड़ कर जा रही थी

उसकी आखों में नमी साफ़ नज़र आ रही थी

ये बात और है कि वो जुबाँ से कुछ ना बोली हो

मगर उसके बेजुबा आखें सब कुछ कहे जा रही थी

 

मौलिक लेखक-शशांक तिवारी