आपने अभी तक हनुमान जी की प्रतिमा खड़ी ही देखी होगी! लेकिन इलाहबाद का हनुमान मंदिर भारत में केवल एक ही मंदिर है जो लेटे हुए है! जब आप इंदौर से उलटे हनुमान मंदिर की एक मात्र प्रतिमा है और रतनपुर के गिरजाबन्ध हनुमान मंदिर में स्त्री के रूप में हनुमान की मूर्त है! बता दे इलाहबाद में हनुमान जी का एक छोटा सा प्राचीन मंदिर लेटे हुए प्रतिमा का हैं!
इस मंदिर के बारे में कहा जाता है की संगम का पूरा पुण्य हनुमान जी के दर्शन के बाद ही मिलता है!
एक बार एक व्यापारी हनुमान जी की भव्य मूर्ति को लेकर जलमार्ग से आ रहा था और हनुमान जी का ये बड़ा भक्त था! जब वह अपनी नाव लिए प्रयाग के पास पहुंचा तो उसकी नाव धीरे-धीरे भारी होने लगी तथा संगम के समीप जाते ही यमुना जी के जल में वो डूब गई। कालान्तर में कुछ समय के बाद जब यमुना जी के जल की धारा ने अपनी राह बदली। तो वह मूर्ति कुछ कुछ दिखाई पड़ी। उस वक्त मुसलमान शासक अकबर का शासन चल रहा था। उसने हिन्दुओं का दिल जीतने तथा अन्दर से इस इच्छा से कि यदि वास्तव में हनुमान जी इतने प्रभावशाली हैं तो वह मेरी रक्षा करेगें। यह सोचकर उनकी स्थापना अपने किले के समीप ही करवा दी।
इसके साथ ही एक पौराणिक कथा ये है कि लंका विजय के बाद जब बजरंग बलि जब अपार कष्ट से पीडि़त होकर मरणा सन्न अवस्था मे पहुँच गए थे। तब इनकी माँ जानकी ने इसी स्थान पर इन्हे अपना सिन्दूर लगाकर नया जीवन और हमेशा आरोग्य व चिरायु रहने का आशीर्वाद देते हुए कहा कि जो भी इस त्रिवेणी तट पर संगम स्नान पर आयेंगा और संगम स्नान का असली फल उस तभी मिलेगा जब वह हनुमान जी के यहाँ दर्शन करेगा।
इसके अलावा एक और मान्यता है कि 1400 इसवी में जब भारत में औरंगजेब का शासन काल था तब उसने इस प्रतिमा को यहां से हटाने का काफी प्रयास किया था। लगभग 100 सैनिकों को इस प्रतिमा को यहां स्थित किले के पास के मन्दिर से हटाने के काम मे लगा दिया था। कई दिनों तक प्रयास करने के बाद भी प्रतिमा को कोई भी सैनिक टस से मस नही कर सका। और सभी सैनिक गंभीर रूप से बिमारी से ग्रस्त हो गये। मज़बूरी में औरंगजेब को प्रतिमा को वहीं छोड़ दिया।
कहा जाता है की संगम आने वाले हर एक श्रद्धालु यहां पर सिंदूर चढ़ाने और हनुमान जी के दर्शन को जरुर आता है। बजरंग बली की लेटे हुए मन्दिर मे पूजा-अर्चना के लिए यूं तो हर रोज ही देश के कोने-कोने से हजारों की संख्या में भक्त आते हैं जबकि मंदिर के महंत आनंद गिरी महाराज के मुताबित यहाँ पर राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के अलावा पंडित नेहरू, इंदिरा गांधी, राजीव गांधी, सरदार बल्लब भाई पटेल और चन्द्र शेखर आज़ाद जैसे तमाम विभूतियों ने अपने सिर को यहां झुकाया, पूजन किया और अपने लिए और अपने देश के लिए मनोकामना मांगी। यहां मांगी गई हर मनोकामना अधिकतर पूरी होती ही है।
यहाँ पर आरोग्य व अन्य कामनाओं के पूरा होने पर हर मंगलवार और शनिवार को मन्नत पूरी होने का झंडा निशान चढऩे के लिए लोग जुलूस के जैसे गाजे-बाजे के साथ आते हैं। जबकि मन्दिर में कदम रखते ही हर श्रद्धालुओं को एक अजीब सी सुखद की अनुभूति होती है। भक्तों का मानना है कि ऐसे प्रतिमा पूरी दुनिया में कहीं मौजूद नहीं है।
ये मंदिर इलाहाबाद में संगम के निकट स्थित यह मंदिर उत्तर भारत के मंदिरों में अद्वितीय है। और हनुमान ही की विशाल मूर्ति आराम की मुद्रा में स्थापित है। लेकिन ये एक छोटा मंदिर है एवं प्रतिदिन सैकड़ों की संख्या में भक्तगण यहाँ आते हैं।